लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2024
फिर और क्या?
जब तेरी निगाहों की गहराइयों में
हमें अपना अक्स नज़र आएं
फिर और क्या खोजूं
जब तेरी खमाहोशी में भी मेरे
शब्द नज़र आने लगें तब
फिर की ख्वाहिश क्या करूं।
जब तेरी धड़कनों में छुपे स्वयंम के
नाम को हर सांस में सुन पाऊं
फिर और क्या चाहूं
जब खुदा बिन दुआओं के ही
दुआओं में तेरा नाम क़बूल कर जाएं
फिर और क्या दुआ मांगू।
राखी सरोज
नई दिल्ली
Mohammed urooj khan
17-Apr-2024 11:41 PM
👌🏾👌🏾
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hema mohril
15-Apr-2024 08:25 PM
Amazing
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